कुछ कही अनकही

गुजरते वक्त के साथ हम कितनी जल्दी बड़े हो जाते है। इच्छाओं, भावनाओ को कैसे प्रदर्शित करना है। ये हमे कोई नही सिखाता हम सीख जाते है। हर हाल मे हर वक्त मे हालातो के साथ ढलना। जिन्दगी क्या बस इसी के इर्द गिर्द घूमती है। या इन सब से भी ऊपर कुछ है।
कुछ अलग थोड़ा रोमांचक बेहतरीन सुकून भरा
इन सबकी ही तलाश में इन्सान भटक रहा है। बरसो से और ये सिलसिला ऐसा जो एक ढलती शाम और उगते सूरज की तरह कभी खत्म नही होगा.......................
#Aparna Mishra

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